अंबिकापुर में सियासी घमासान, तीर्थ दर्शन योजना के कार्ड पर मचा बवाल

छत्तीसगढ़ (10 अप्रैल, 2025):

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के आमंत्रण कार्ड को लेकर सियासी खींचतान तेज हो गई है। यह योजना, जो राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी पहलों में से एक है और जिसका उद्देश्य बुजुर्गों व आम नागरिकों को तीर्थ यात्रा का अवसर प्रदान करना है, अब राजनीतिक गुटबाजी का अखाड़ा बनती नजर आ रही है। निगम-मंडलों में हाल ही में हुई नई नियुक्तियों के बाद अब इस योजना के आमंत्रण कार्ड ने सत्ताधारी दल के भीतर की कलह को खुलकर सामने ला दिया है। सूत्रों के अनुसार, इस योजना के तहत आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम के लिए पहले आमंत्रण कार्ड छपवाए गए थे। इन कार्डों में युवा आयोग के अध्यक्ष विश्व विजय सिंह तोमर का नाम सबसे ऊपर प्रमुखता से छपा था। ये कार्ड मेहमानों को भेजे भी जा चुके थे और सब कुछ सामान्य लग रहा था। लेकिन अचानक प्रशासन ने दूसरा कार्ड छपवाने का फैसला किया, जिसमें गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष अनुराग सिंह का नाम शीर्ष पर दर्शाया गया। इस बदलाव ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी, बल्कि सत्ताधारी दल के भीतर गुटबाजी की खबरों को भी हवा दे दी। दो कार्ड, दो गुट, एक सवाल पहला कार्ड मेहमानों तक पहुंचने के बाद जल्दबाजी में दूसरा कार्ड छपवाया गया और उसे भी वितरित किया गया। इस असामान्य कदम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह महज एक प्रशासनिक चूक थी या इसके पीछे कोई गहरी सियासी रणनीति छिपी है? राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि यह कदम सत्ताधारी दल के दो प्रमुख नेताओं—विश्व विजय सिंह तोमर और अनुराग सिंह—के बीच वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा हो सकता है। दोनों ही नेता अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र को मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं, और इस कार्ड विवाद ने उनकी आपसी प्रतिस्पर्धा को सार्वजनिक मंच पर ला दिया है। इस घटनाक्रम ने न केवल सत्ताधारी दल के भीतर तनाव को उजागर किया है, बल्कि विपक्ष को भी सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। विपक्षी नेताओं ने इसे सरकार की अंदरूनी अस्थिरता का सबूत बताते हुए कहा है कि जब सरकार अपने ही कार्यक्रम के कार्ड पर एकमत नहीं हो सकती, तो जनहित की योजनाओं को कैसे लागू करेगी? दूसरी ओर, आम जनता के बीच भी यह चर्चा का विषय बन गया है कि आखिर तीर्थ दर्शन जैसी पवित्र योजना को सियासी रंग क्यों दिया जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद केवल शुरुआत हो सकता है। निगम-मंडलों में हालिया नियुक्तियों के बाद यह पहला मौका है जब गुटबाजी इतने खुले रूप में सामने आई है। सवाल यह है कि क्या यह तस्वीर अब और साफ होगी? क्या विश्व विजय सिंह तोमर और अनुराग सिंह के बीच की यह खींचतान पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचेगी, या फिर इसे दबाने की कोशिश की जाएगी? सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस सियासी खेल में ‘आस्था’ की राजनीति आखिर किसके पाले में जाएगी। फिलहाल अंबिकापुर के इस घटनाक्रम पर सभी की नजरें टिकी हैं। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, जो मूल रूप से जनता के लिए एक कल्याणकारी कदम थी, अब सत्ताधारी दल के भीतर सत्ता और प्रभाव की जंग का प्रतीक बनती दिख रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और इसका असर छत्तीसगढ़ की सियासत पर कितना गहरा पड़ता है।

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