अम्बिकापुर – सरगुजा जिले के श्रीगढ़ क्षेत्र में कथित वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण को लेकर जारी विवाद अब और पेचीदा होता जा रहा है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस मामले में पीड़ितों को स्थायी स्थगनादेश (स्टे ऑर्डर) प्रदान करते हुए पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा सरगुजा वन विभाग को सौंपा है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि जांच रिपोर्ट 6 अप्रैल तक प्रस्तुत की जाए, लेकिन अब तक न तो जांच शुरू हुई है और न ही कोई रिपोर्ट तैयार की गई है।
पीड़ित पक्ष ने बताया कि जब वे अपना लिखित बयान वन विभाग को सौंपने पहुंचे, तो विभाग ने उसे स्वीकार करने में आनाकानी की। इससे पीड़ितों में आक्रोश है और उन्होंने विभाग पर हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप लगाया है।
डीएफओ ऑफिस पहुंचे पीड़ित, सौंपा लिखित पक्ष
पीड़ित ग्रामीण शनिवार को डीएफओ कार्यालय पहुंचे और अपने पक्ष में दस्तावेज सौंपने की कोशिश की, लेकिन अधिकारियों की अनिच्छा ने मामले को और उलझा दिया। पीड़ितों का कहना है कि विभाग की ओर से ना तो भूमि का सीमांकन किया गया है और ना ही किसी प्रकार की जांच कार्रवाई अब तक शुरू हुई है।
डीएफओ ने मिडिया से बात करने से किया इनकार
वहीं इस पूरे मामले में जब मीडिया ने सरगुजा के डीएफओ से बात करनी चाही तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस चुप्पी ने विभाग की भूमिका पर और सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब सबकी नजर 6 अप्रैल पर टिकी है, जब हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई होनी है। देखना होगा कि क्या तब तक विभाग अपनी रिपोर्ट सौंप पाता है या नहीं।