झारखंड से अंबिकापुर तक, एक ईशु समाजी संत की जीवन यात्रा का अंत

अंबिकापुर। भोपाल और अंबिकापुर के परम श्रद्धेय, संत तुल्य, येसु समाजी सेवा निवृत्त आर्चबिशप पास्कल टोपनो का आज 6 अप्रैल को रात्रि 12:30 बजे अंबिकापुर स्थित होली क्रॉस अस्पताल में 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और क्रोनिक किडनी रोग से ग्रसित थे।

आर्चबिशप टोपनो का जन्म 15 जून 1932 को झारखंड के कोनेलोआ गांव में एक धार्मिक कैथोलिक परिवार में हुआ था। प्रारंभ से ही आध्यात्मिकता और प्रार्थना उनके जीवन का आधार रही। 20 जून 1953 को उन्होंने सीतागढ़ में येसु समाज के नवशिष्यालय में प्रवेश कर सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) में कदम रखा। धार्मिक अध्ययन हेतु उन्हें बेल्जियम भेजा गया, जहां 31 जुलाई 1965 को उन्हें पुरोहित अभिषेक प्राप्त हुआ।

Tertianship पूरा करने के उपरांत उन्होंने कुनकुरी के लोयोला स्कूल में शिक्षक, रेक्टर और प्रिंसिपल के रूप में सेवाएं दीं। बाद में वे रांची येसु समाज के प्रोविंशियल नियुक्त किए गए। 28 अक्टूबर 1985 को उन्हें अंबिकापुर का दूसरा धर्माध्यक्ष नियुक्त किया गया और 18 जनवरी 1986 को उनका धर्माध्यक्षीय अभिषेक हुआ। 20 मई 1994 तक उन्होंने अंबिकापुर धर्मप्रांत की सेवा की।

इसके पश्चात, 17 जुलाई 1994 को वे भोपाल महाधर्मप्रांत के आर्चबिशप नियुक्त किए गए। अपने कार्यकाल में उन्होंने कलीसिया का मार्गदर्शन अत्यंत सरलता, आध्यात्मिक गहराई और ईमानदारी के साथ किया। 15 जून 2007 को 75 वर्ष की आयु पूर्ण कर उन्होंने सेवा से अवकाश ग्रहण किया।

पूर्व राज्यपाल डॉ. बलराम जाखड़ ने उनके विषय में कहा था, “फादर टोपनो, मैं आप में एक सच्चा इंसान देखता हूं… आपकी उपस्थिति मुझे भगवान का एहसास कराती है।”

सेवानिवृत्ति के पश्चात वे अंबिकापुर के ख्रीस्त मिलन आश्रम में निवास कर रहे थे। उन्होंने इस स्थान को “Preparation for Happy Death” (PHD) के लिए चुना था और वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार अंबिकापुर के बेदाग ईश माता महागिरजा नवापारा कैथेड्रल में 09 अप्रैल बुधवार को सुबह 10 बजे किया जाएगा। उनके निधन से मसीही समाज में शोक व्याप्त है।

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